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लाश के साथ रेप अपराध नहीं | Lash Ke Sath Rape Apradh Nhi

 पहले लड़की की हत्या की गई फिर उसकी लाश के साथ सेक्स। निचली अदालत ने शख्स को हत्या और रेप का आरोपी माना और सजा दी। जुर्माना भी लगाया। लेकिन अब आठ साल बाद कर्नाटक हाई कोर्ट ने शख्स को मर्डर का दोषी तो माना लेकिन रेप का नहीं क्योंकि हमारे देश में ऐसा कोई कानून नहीं जिसमें शव के साथ रेप करने पर सजा का प्रावधान हो यानी कानूनी अस्पष्टता। केंद्र सरकार को निर्देश दिया गया कि वो महीने के अंदर आईपीसी की धारा 377 में बदलाव करे। मानव शव या जानवरों की लाश के साथ सेक्स नेक्रोफिलिया पर सजा का प्रावधान करे। चलिए एक एक करके समझते हैं कि क्या है नेक्रोफिलिया या हमारे देश में कैसे बच जाते हैं अपराधी और किन देशों में इसे जुर्म मान कर सजा दी जाती है।

नेक्रो यानी शव और फिलिया यानी आकर्षण। नेक्रोफिलिया एक मानसिक विकृति है, जिसमें पीड़ित शख्स मरे हुए लोगों के प्रति आकर्षित होता है और शव के साथ सेक्स करता है। लोग इसमें सीरियल किलर तक बन जाते हैं। पहले हत्या फिर लाश के साथ सेक्स। उदाहरण है नोएडा का निठारी कांड। 


अब भारत में अपराधी कैसे बच जाते हैं?

दरअसल नेक्रोफिलिया को लेकर आईपीसी में कोई प्रावधान नहीं है। कानून में ही नहीं है कि शवों को भी व्यक्ति माना जाए या नहीं। पीड़ित ये क्लेम करने के लिए जिंदा ही नहीं होता कि सके साथ रेप हुआ है।

आप जानते हैं कि किन देशों में इसे जुर्म मानकर सजा का प्रावधान है।

सबसे आगे है ब्रिटेन। इसमें लाश के साथ सेक्स करने को अपराध माना गया है। इसके खिलाफ कानून बना है। सजा अधिकतम दो साल हो सकती है। स्वीडन में अपराध माना जाता है लेकिन इसे लाश या कब्र के साथ बदसलूकी के तहत रखा गया है। अधिकतम सजा दो साल की दी जा सकती है। साउथ अफ्रीका में भी लाश के साथ सेक्स करना जुर्म है। कैनेडा के कानून में भी शव के साथ बदसलूकी कानून के खिलाफ है। सजा पांच साल या उससे ज्यादा हो सकती है। न्यूजीलैंड में भी डेड बॉडीज के साथ किसी भी तरह का बुरा बर्ताव करने पर दो साल या उससे अधिक सजा का प्रावधान है।

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